इंडिया के 2024-25 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने Capital Gains Tax स्ट्रक्चर में कई अहम बदलाव पेश किए हैं। इन बदलावों का मकसद टैक्सेशन को आसान बनाना और टैक्सपेयर्स को स्पष्टता देना है। कैपिटल गेंस टैक्स प्रणाली में ये बदलाव सरकार की टैक्स अनुपालन को सरल और प्रभावी बनाने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। इससे टैक्सपेयर्स को टैक्स फाइलिंग में कम अस्पष्टता का सामना करना पड़ेगा और एक अधिक प्रभावी टैक्स प्रशासन प्रणाली की दिशा में कदम बढ़ेंगे।
मुख्य बातें |
---|
📈 सरल संरचना: शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस के लिए स्टैंडर्डाइज्ड टैक्स दरें। |
📝 बढ़ी हुई छूट: LTCG छूट सीमा बढ़ाकर ₹1.25 लाख प्रति वर्ष। |
🏢 असेट वर्गीकरण: वित्तीय और गैर-वित्तीय संपत्तियों के लिए स्पष्ट वर्गीकरण गाइडलाइन्स। |
💼 समान टैक्सेशन: अनलिस्टेड बॉन्ड्स, डिबेंचर्स, और अन्य उपकरणों पर समान टैक्सेशन। |
⚖️ टैक्स सरलता: विवादों और मुकदमों को कम करने के लिए उपाय। |
कैपिटल गेंस टैक्स के बदलाव | Changes in Capital Gains Tax
आसान और तर्कपूर्ण
सरकार ने कैपिटल गेंस टैक्सेशन के लिए एक सिंप्लिफाइड और तर्कपूर्ण स्ट्रक्चर प्रस्तावित किया है। इसका मुख्य उद्देश्य टैक्स रेजीम को सरल और समझने में आसान बनाना है। यहाँ प्रमुख बदलाव दिए गए हैं:
शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेंस | Short Term Capital Gains Tax
अब शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेंस (STCG) कुछ फाइनेंशियल असेट्स पर 20% की टैक्स रेट के साथ लागू होंगे। इस बदलाव का उद्देश्य विभिन्न प्रकार के फाइनेंशियल असेट्स के बीच टैक्स रेट को स्टैंडर्डाइज करना है, जिससे टैक्सपेयर्स के लिए अनुपालन करना आसान हो।
लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस | Long Term Capital Gains Tax
अब लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस (LTCG) सभी फाइनेंशियल और नॉन-फाइनेंशियल असेट्स पर 12.5% की दर से टैक्सड होंगे। इसके अलावा, कुछ फाइनेंशियल असेट्स पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेंस के लिए एक्सेम्पशन लिमिट को बढ़ाकर ₹1.25 लाख प्रति वर्ष कर दिया गया है। इस बदलाव से लोअर और मिडिल-इनकम टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी।
असेट्स की क्लासिफिकेशन
टैक्स रेजीम को और सरल बनाने के लिए, बजट में असेट्स की क्लासिफिकेशन के लिए स्पष्ट गाइडलाइन्स पेश की गई हैं:
- लिस्टेड फाइनेंशियल असेट्स: एक साल से ज्यादा समय तक रखे गए असेट्स को लॉन्ग-टर्म माना जाएगा।
- अनलिस्टेड फाइनेंशियल असेट्स और नॉन-फाइनेंशियल असेट्स: इन असेट्स को लॉन्ग-टर्म मानने के लिए कम से कम दो साल तक रखना होगा।
अनलिस्टेड बॉन्ड्स और डिबेंचर्स पर टैक्स
अनलिस्टेड बॉन्ड्स और डिबेंचर्स, डेट म्यूचुअल फंड्स और मार्केट-लिंक्ड डिबेंचर्स, होल्डिंग पीरियड की परवाह किए बिना, लागू दरों पर कैपिटल गेंस टैक्स के दायरे में आएंगे। इस बदलाव से सभी वित्तीय साधनों पर समान रूप से कर लगाया जाएगा।
निष्कर्ष
2024-25 के बजट में कैपिटल गेंस टैक्स में किए गए बदलावों का उद्देश्य टैक्स संरचना को सरल बनाना और टैक्सपेयर्स को स्पष्टता प्रदान करना है। टैक्स दरों और वर्गीकरण नियमों को स्टैंडर्डाइज करके, सरकार विवादों और मुकदमों को कम करना चाहती है, जिससे टैक्सपेयर्स को निश्चितता मिलेगी।
अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें: India Budget